Maharaj Sawai Sh. Mansingh

No-01

महाराजा सवाई श्री मानसिंह

(30 मार्च 1949 - 31 अक्टूबर 1956)

लेफ्टिनेंट जनरल महाराजा सवाई श्री मानसिंह जयपुर रियासत के 39वें एवं अंतिम शासक थे। महाराजा सवाई मानसिंह का जन्म 21 अगस्त, 1911 को जयपुर रियासत के ईसरदा ठिकाने के ग्राम ईसरदा में हुआ। आप का बचपन का नाम कुंवर श्री मोरमुकुट सिंह था।

महाराजा श्री माधोसिंह ने 24 मार्च, 1921 को जबकि कंुवर मोरमुकुट सिंह 10 वर्ष की आयु के थे, इन्हें अपने दत्तक पुत्र के रूप में ग्रहण किया। श्री मानसिंह 7 सितम्बर, 1922 को राजसिंहासनरूढ़ हुए।

श्री मानसिंह ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा कोटा में प्राप्त की। उन्होंने मेयो काॅलेज, अजमेर तथा राॅयल मिलिट्री अकादमी वूललिक (इंग्लैड) में शिक्षा ग्रहण की। शिक्षा क्षेत्र में उन्होंने सदैव उच्च स्थान प्राप्त किया तथा अनेक पदक व प्रमाण-पत्र प्राप्त किए।

महाराजा भारतीय सेना के अवैतनिक लैफि. जनरल, 61 केवलरी, राजस्थान राइफल एवं सवाई मान गार्डस के अवैतनिक कर्नल पदों से सुशोभित किए गए। 1942 में आपने कोटा में स्टाफ काॅलेज कोर्स किया। सवाई मानसिंह स्थायी रूप से 17 तोपों की सलामी तथा स्थानीय 19 तोपों की सलामी के हकदार थे। आप चैम्बर आफ प्रिन्सेस के सदस्य तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की कोर्ट के वंशानुगत सदस्य थे। 1961 तक आप इण्डियन पोलो एसोसिएशन के अध्यक्ष तथा मेयो काॅलेज, अजमेर की जनरल कौंसिल के अध्यक्ष रहे। आप विक्टोरिया मेमोरियल कलकत्ता के ट्रस्टी, नेशनल हार्स ब्रिडिंग एण्ड शो सोसायटी के सदस्य भी रहे। इसके अतिरिक्त आप जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के संरक्षक भी रहे।

महाराजा सवाई मानसिंह पोलो के विश्व-विख्यात खिलाड़ी थे। वर्ष 1933 में आप भारतीय टीम को इंग्लैंड ले गये और वहां सभी टूर्नामेंट्स में विजय प्राप्त कर एक कीर्तिमान स्थापित किया। वर्ष 1957 में आपने डिबले में विश्व गोल्ड कप चैम्पियनशिप जीतने वाली भारतीय पोलो टीम का नेतृत्व किया।

महाराजा श्री मानसिंह जयपुर रियासत के कुशल एवं लोकप्रिय शासक थे। जयपुर रियासत की सम्पूर्ण जनता को आप अपने परिवार के सदस्य के रूप में मानते थे तथा उसकी भलाई के कार्यों में गहरी रूचि लेते थे।

राजप्रमुख सवाई श्री मानसिंह का उद्घाटन भाषण 31 मार्च, 1952