Dr. Sampurnanand

No-03

डाॅ. सम्पूर्णानन्द

(16 अप्रेल 1962 - 15 अप्रेल 1967)

डाॅ. सम्पूर्णानन्द ने राज्य के दूसरे राज्यपाल के रूप में 16 अप्रेल, 1962 को पद ग्रहण किया और 15 अप्रेल, 1967 तक इस पद पर आसीन रहे। आपका जन्म 1 जनवरी, 1891 को हुआ। क्वीन्स काॅलेज, बनारस में पढ़कर आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। आपने इलाहाबाद के ही शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय से एल.टी. की परीक्षा पास की और 20 वर्ष की अल्पायु में स्टाफ आॅफ लंदन मिशन हाई स्कूल, बनारस से अपने शिक्षण कैरियर की शुरूआत की।

वर्ष 1918 से 1921 तक आप डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर के प्राचार्य रहे। असहयोग आन्दोलन में भाग लेने के लिये आपने पद त्याग दिया और गिरफ्तारी दी। वर्ष 1922 में आप दर्शन शास्त्र के व्याख्याता के रूप में काशी विद्यापीठ से जुड़े और वर्ष 1946 तक यहां रहे। इस दौरान आज राजनीति में भी सक्रिय रहे और कई बार जेल गये। वर्ष 1922 में आप अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य चुने गये।

आप तीन बार उत्तर प्रदेश की प्रदेश काँग्रेस कमेटी के सचिव रहे। आप 1926 में उत्तर प्रदेश विधान  परिषद् के सदस्य भी रहे। आप श्री गोविन्द वल्लभ पंत के मुख्यमंत्रित्व में शिक्षा मंत्री रहे। आजादी के बाद आप उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा, वित्त, गृह और श्रम मंत्री रहे। आप वर्ष 1954 में उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने और वर्ष 1960 तक इस पद पर रहे। आप इतिहास, दर्शनशास्त्री, समाजशास्त्र, गणित एवं खगोल विज्ञान के अच्छे ज्ञाता थे। आप हिन्दी भाषा के प्रबल समर्थक होते हुए भी पारसी तथा फ्रांसिसी भाषाओं में पारंगत थे। आपने दर्शनशास्त्र और राजनीति पर कई पुस्तकें लिखीं।

हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट पुस्तक के रूप में आपकी कृति ’समाजवाद’ को मंगला प्रसाद पुरस्कार प्रदान किया गया। हिन्दी नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 18 भाग वाले ’हिन्दी साहित्य का इतिहास’ के आप मुख्य संपादक रहे। नैनीताल में स्थित वेधशाला, जो वर्तमान में सैटेलाइट ट्रैकिंग सेंटर के रूप में कार्यरत है, आपकी खगोल विज्ञान के प्रति रूचि की देन है।