P-8 Programme

विश्वविद्यालयों में शिक्षा सुधार हेतु 

P-8 Programme 

प‘ आठ (पाठ) योजना 

(1) प्रवेश, (2) पढ़ाई, (3) परिसर/परिवेश (4) परीक्षा, (5) परीक्षण, (6) परिणाम, (7) पुनर्मूल्याकंन, (8) पदक एवं पदवी

1.प्रवेश

प्रवेश यानी Admission । विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों में प्रवेश हेतु समयबद्धता का कडा़ई से अनुपालन किया जाऐ, ससमय प्रवेश कार्य आरम्भ हो और निर्धारित अवधि में पूर्ण किया जाऐ। प्रवेश प्रक्रिया में पूर्ण शुचिता बनाए रखी जाये। निर्धारित मापदण्ड़ों के विपरीत जाकर या पिछले दरवाजे (Backdoor Entry) के मामले पाये जाने पर सख्त कार्यवाही की जाऐ। प्रवेश के समय ही पूरे वर्ष का शैक्षणिक कलेण्डर तैयार हो जाना चाहिए और उसे छात्रों को वितरित भी करने की व्यवस्था की जाये।

2. पढ़ाई

पढ़ाई यानी Study । सभी विश्वविद्यालयों में विभिन्न संकायो के पाठ्यक्रमों में समरूपता बनाये रखने का प्रयास किया जाना चाहिए। पाठ्यक्रमों के निर्धारण के समय इस बात का ध्यान रखा जाये कि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों को सफलता दिलाने में सहायक हो। नियमित रूप से कक्षाये चलाई जाऐ। कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति का नियमित अनुश्रवण किया जाऐ तथा निर्धारित उपस्थिति प्राप्त न करने वाले छात्रों को परीक्षाओं में बैठने की अनुमति न दी जाऐ। छात्रों की उपस्थिति की/अनुपस्थिति की नियमित सूचना अभिभावकों को भेजने की व्यवस्था निर्धारित की जाऐ। स्मार्ट क्लासरूम चरणबद्ध तरीके से विकसित किए जाये जो कम से कम पोडियम, LED Projector/Screen Projector,Sound Support System सुविधाओं से लैस हों ही। कक्षाओं में प्राध्यापकों की उपस्थिति पर भी कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाऐ। यदि कोई प्राध्यापक अवकाश पर है तो उसके प्रतिस्थानी तैनात किये जाऐ। किसी भी दशा में छात्र अध्यापकों की अनुपस्थिति की वजह से परिसर मे इधर-उधर घूमते नहीं मिलने चाहिए। प्राध्यापकों को अध्यापन की नई-नई तकनीक और विषयों के अद्यतन ज्ञान से भिज्ञ कराने के लिए Refresher Course आयोजित किये जाऐ। प्रशासनिक पदों पर तैनाती में पारदर्शी नीति बनाई जाये जिसमें वरिष्ठता एवं योग्यता को महत्व दिया जाये। ट्यूशन  करने वाले प्राध्यापकों पर कड़ी नजर रखी जाये, उन्हे चिन्हित किया जाये तथा उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाये।

3.परिसर/परिवेश

परिसर/परिवेश यानि Atmosphere  पूरे विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय परिसर में पढ़ाई के अनुकूल वातावरण बनाये रखने का प्रयास किया जाये। विश्वविद्यालय परिसर में असामाजिक गतिविधियों पर कठोर नियन्त्रण रखा जाऐ और उनसे सख्ती से निपटा जाये। छात्राओं के साथ छेड़खानी, छात्रों के बीच गुटबाजी, रैगिंग एवं गुण्डागर्दी को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न किया जाए। आपराधिक प्रवृत्ति के छात्रों का चिन्हीकरण किया जाये और उन पर सख्त कार्यवाही की जाये। विश्वविद्यालय छात्रावासों में अनाधिकृतरूप से रह रहे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। छात्रसंघों के चुनाव सत्र के प्रारम्भ में ही करा लिये जाये तथा लिंगदोह कमेटी की अनुशंषाओं पर सहमति बनाई जाये। महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के परिसर को No tobacco/No smoking Zone घोषित किया जाये। Digital India के Concept पर काम करते हुए महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के परिसर में इंटरनेट और वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध कराए जाने की योजना बनाई जाये। कैम्पस की साफ सफाई पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत विशेष  ध्यान दिया जाये और आदर्श  स्वच्छ कैम्पस के रूप में विकसित किया जाये। इन सभी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए CCTV Camera परिसर में यथोचित स्थान पर लगाये जाने की योजना तैयार की जाये। लाइब्रेरी, खेलकूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाये।

4.परीक्षा

परीक्षा यानी  Exam । परीक्षा की शुचिता एवं गंभीरता के साथ कोई समझौता न किया जाये। परीक्षाऐं नकल विहीन सम्पन्न कराना सर्वोच्च प्राथमिकता रखी जाये । सामूहिक नकल कराना एक गिरोहबन्द जैसा अपराध है। सामूहिक नकल में संलिप्त पाये जाने वाले विश्वविद्यालय के  प्रशासनिक अधिकारियों सहित सभी दोषियों पर कानून के तहत कार्यवाही में कोई संकोच न किया जाये। समय पूर्व प्रश्नपत्र  लीक न हो इसके लिए नई तकनीकी का प्रयोग करते हुऐ Full Proof System Develop किया जाये और ऐसे कार्योें को अंजाम देने वालों के विरूद्ध आई.पी.सी. की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया जाये। परीक्षा केन्द्रों का निर्धारण चार या पाँच महाविद्यालय का ग्रुप बना कर सुनिश्चित किया जाये।

5.परीक्षण

परीक्षण यानी Valuation । उत्तर पुस्तिकाओं का परीक्षण एवं मूल्यांकन अत्यन्त पवित्रता व उत्तरदायित्व का कार्य है। अयोग्य/लापरवाह परीक्षकों को इस प्रकार के दायित्व से अलग रखा जाये। केन्द्रीयकृत मूल्यांकन पद्धति  पर भी विचार किया जाये। उत्तरपुस्तिकाओं के परीक्षण एवं मूल्याकंन में गुणवत्ता बनाए रखी जाये और यह ध्यान रखा जाये की परीक्षार्थी को उसके द्वारा दिये गये उत्तर के सापेक्ष अंक अवश्य प्राप्त हो। उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए निर्धारित मानदेय को भी पुनर्निर्धारित करने पर विचार किया जाये।

6.परिणाम

परिणाम यानी Result । परीक्षाओं के परिणाम समय से घोषित हों और यह ध्यान रखा जाये कि उसमें त्रुटियों की कोई गुंजाईश न रहे। परिणाम घोषित होने से पूर्व इसके लीक होने से रोकने तथा गोपनीयता बनाये रखने पर विशेष सावधानी बरती जाये। परीक्षा के त्रुटिपूर्ण घोषित परिणाम कभी-कभी छात्रों को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है अतः परीक्षा परिणामों में Zero Error लाने का प्रयास किया जाये ।

7.पुनर्मूल्याकंन

पुनर्मूल्याकंन यानी Revaluation । उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था निर्धारित है। पुनर्मूल्यांकन के कार्य को और भी गंभीरता एवं पाक साफ तरीके के साथ सम्पादित कराया जाये। यदि प्रथम मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन के परिणामों में 20 प्रतिशत  से अधिक का अन्तर प्राप्त होता है तो ऐसे प्रकरणों को तीसरे परीक्षक को सन्दर्भित किया जाये। यदि तीसरे मूल्यांकन में प्रथम मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन में से किसी एक की पुष्टि होती है तो दूसरे परीक्षक को अयोग्य घोषित करते हुए ब्लेक लिस्ट करने एवं किसी भी विश्वविद्यालय की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन से कम से कम एक वर्ष के लिए Debar करने पर विचार किया जाये।

8.पदक एवं पदवी

Degree/उपाधि समय से तैयार की जाये और वर्षांन्त में पूर्व निर्धारित तिथि पर उनके वितरण की व्यवस्था की जाये एवं दीक्षान्त समारोह नियमित रूप से आयोजित किये जाये। मेधावी छात्रों के पदक ससमय प्रदान करने की विलम्ब रहित एवं गरिमापूर्ण रीति-नीति तय की जाये।